सीतापुर:-
चाहे देश के प्रधानमंत्री हों य सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ विकास के दावे बड़े-बड़े करते हैं इनके द्वारा बड़ी योजनाएं लाने का दावा किया जाता है। चाहे ग्रामीण आवास योजना हो य शौचालय योजना, इन योजनाओं का लाभ ग्रामीण क्षेत्र की गरीब जनता को कहां तक मिल पाता है यह जांच का विषय है, ग्राम प्रधान व संबंधित अधिकारी विकास कार्यों के पैसे गमन कर जाते हैं य फिर ग्राम प्रधान सीधे तौर पर ग्रामीणों से शौचालय व आवास दिलाने के नाम पर पैसा वसूलते हैं तब जाकर कहीं इनको आवास व शौचालय दिलाया जाता है।
ऐसा ही मामला जिले की विकास खण्ड बिसवां की ग्राम पंचायत महरिया का प्रकाश में आया है जहां पर ग्रामीण सरकारी योजनाओं से आज भी वंचित हैं।यहाँ सौंचालय तो बने ही दिखते साथ में यहां कच्चे व खंडहर मकानों में जीवन यापन कर रहे ग्रामीणों से इंडिया दैनिक की टीम ने बात कर आवास के बारे में पूंछा तो वर्षों से कच्चे मकान में रह रहे दिनेश ने बताया कि अधिकारियों ने बताया कि आपका तो पैसा बढ़ने वाला है, तुम्हारा तो ढाई लाख वाला है।
पीड़ित दिनेश पुत्र राम विलास जोकि हरिया के निवासी हैं के मुताबिक उन्हे ढाई लाख का लालच देकर 120000 वाले आवास से भी वंचित कर दिया गया, जब इसका कोई सहारा नहीं तो ढाई लाख वाला कब मिलेगा, जब हमारा मकान गिर जाएगा हमारे बीवी बच्चे दबकर मर जाएंगे तो क्या मतलब उस मकान का।लेकिन दिनेश के मुताबिक अब उनका मकान अधिकारियों ने कागजी तौर पर पक्का चिन्हित कर दिया है, लेकिन हकीकत में देखा जाए तो उनके पास कच्चे मकान के अलावा और कोई मकान नहीं है।
साथ ही दिनेश ने बताया कि उन्होंने ₹1000 रूपए ब्याज पर लेकर दौड़भग कर संबंधित प्रार्थना पत्र आवास हेतु देना शुरू कर दिया दिया है, लेकिन अधिकारी कहां सुनने वाले, अब दिनेश दिए गए प्रार्थना पत्रों की प्रतियों का बंडल लिए निराश घर पर बैठे हैं, आखिर करें भी तो क्या क्योंकि वह गरीब हैं।साथ ही इस ग्राम पंचायत में कई सारे ग्रामीण आवास व शौचालय से वंचित है।
ग्राम प्रधान अशोक कुमार व ग्राम विकास अधिकारियों की मिलीभगत से ग्राम पंचायत में कच्चे मकान में रहे हैं गरीब ग्रामीणों को सरकारी आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका किए जा रहे भ्रष्टाचार की पोल खोलते ग्राम पंचायत मे बने कच्चे व उनमे रह रहे गरीब ग्रामवासी।
सवालिया निशान खड़ा होता है क्या देश की सरकार या प्रदेश की सरकार झूठे वादे करती हैं?
सरकार के वादे झूठे नहीं तो आखिर ग्रामीण क्षेत्र के निवासी इन योजनाओं से वंचित क्यों हैं?
यदि ग्राम प्रधान व संबंधित अधिकारी जिम्मेदार है तो जांच करके उन पर कार्यवाही की जाएगी?
अब देखने का विषय है कि सीतापुर जिला प्रशासन इस मामले को संज्ञान में लेते हुए गरीबों को आवास मुहैया कराता है य नहीं।
ब्यूरो रिपोर्ट: अनुज भदौरिया