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सपा को हराने के लिए यदि जरूरत पड़ी तो भाजपा को देंगे वोट: मायावती


राजधानी लखनऊ :-

उत्तर प्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव में गठबंधन के बाद मायावती और अखिलेश यादव के बीच घमासान शुरू हो गया, मायावती ने कहा कि वह यूपी विधान परिषद के चुनाव में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के किसी भी उम्मीदवार को हराने के लिए भाजपा को वोट देने के लिए तैयार हैं।

बसपा प्रमुख ने ​​कहा कि गठबंधन के लिए समाजवादी पार्टी के खिलाफ 1995 के मामले को वापस लेके मैंने गलती कर दी।

हमने तय कर लिया है कि यूपी में आगामी विधान परिषद के सदस्य के चुनाव में सपा उम्मीदवार को हराने के लिए हम अपनी पूरी ताकत लगा देंगे,चाहे क्यों न हमें अपना वोट किसी भाजपा उम्मीदवार या किसी अन्य पार्टी के उम्मीदवार को देना पड़े, बसपा प्रमुख मायावती ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुये बताया कि किसी भी पार्टी का कोई भी उम्मीदवार जो समाजवादी के दूसरे उम्मीदवार पर हावी होगा, उसे बसपा के सभी विधायकों के वोट मिलेंगे।

उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए 9 नवंबर को होने वाले चुनाव में बसपा ने एक उम्मीदवार रामजी गौतम को राज्यसभा की एक सीट के लिए चुना है, भले ही विधानसभा में उनकी संख्या नहीं है, बसपा नेताओं ने संकेत दिया था कि उन्हें अन्य गैर-भाजपा दलों का समर्थन मिल सकता है।

हालांकि उन योजनाओं के लिए बसपा के 10 विधायकों में से चार ने प्रस्तावित उम्मीदवार के नामांकन पत्र पर उनके फर्जी हस्ताक्षर थे, एक विधायक ने खुलासा किया कि वह समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से मिली थी और एक अन्य विधायक ने टिप्पणी करते हुये कहा कि वह अपने पार्टी के सदस्यों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने के लिए जाने जाते हैं।

मायावती ने अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा और लोकसभा चुनाव के लिए उनके साथ अपने फैसले को बड़ी भूल बताया, उन्होंने यह भी कहा कि जब उन्होंने लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद समाजवादी पार्टी के व्यवहार को देखा तो उन्हें ऐहसास हुया कि समाजवादी पार्टी पर उनके खिलाफ 1995 के मामले को वापस लेने के लिए एक बड़ी गलती थी।

साथ ही बतया कि जब हमने यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया तो हमने इसके लिए बहुत मेहनत की थी, लेकिन हमेसा अखिलेश यादव एससी मिश्रा (बीएसपी के वरिष्ठ नेता) से कहते रहे कि अब तो गठबंधन हो गया है, बसपा-सपा ने हाथ मिलाया है अब मायावती अपना केस मामला वापस लेना चाहिए।

“हमारी पार्टी ने लोकसभा चुनावों के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए सपा के साथ हाथ मिलाया था लेकिन उनके परिवार में आपसी टकराव के कारण वे बसपा के साथ हुये गठबंधन से अधिक लाभ नहीं ले पाये, लोकसभा चुनाव के बाद मैंने उनको कई बार टेलीफोन किया लेकिन उन्होंने हमें जवाब देना बंद कर दिया और इसलिए हमने अकेले भाग लेने का फैसला किया।

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