लखनऊ: राजधानी लखनऊ में आए दिन पैसे कमाने के नए नए हथकंडे अपनाए जाते हैं जिनमें से कुछ का तो खुलासा हो पाता है,कुछ पीड़ित डर के मारे सामने नहीं आना चाहते।
ऐसा ही ताजा मामला थाना मड़ियांव क्षेत्र आईआईएम रोड पर स्थित एसएम हॉस्पिटल का प्रकाश में आया है जहां पर हॉस्पिटल की सुरक्षा में तैनात पुनीत नाम के सिक्योरिटी गार्ड पर कैंटीन संचालक का मोबाइल फोन चोरी करने के आरोप में पुलिस चौकी में शिकायत की गई।जिसके बाद पुलिस ने सिक्योरिटी गार्ड से पूछताछ की जिसमें गार्ड ने मोबाइल फोन की बात कबूली।
कैंटीन संचालक ने मोबाइल की अनुमानित कीमत नौ हजार रुपए बताई जिसे पुलिस के सामने गार्ड चुकाने के लिए राजी हो गया।पुलिस ने दोनों में समझौता कराते हुए,मोबाइल की तय कीमत चुकाने के लिए गार्ड को आगाह कर पीड़ित की सहमति के अनुसार छोड़ दिया।
सिक्योरिटी गार्ड का आरोप है कि-
मैं जब तक एक आध लोगों को फोन कर पैसे की व्यवस्था करता उससे पहले ही हॉस्पिटल प्रबंधन में तैनात खरे ने सिक्योरिटी मालिक की बिना अनुमति के नौ हजार रूपए काट कैंटीन संचालक को छः हजार रूपए थमा दिए।
साथ ही गार्ड का आरोप है कि जब मैं खरे साहब से पूंछा आप ने मेरे नौ हजार रूपए काट लिए ठीक है लेकिन कैंटीन संचालक को छः हजार ही क्यों दिए?
बाकी के तीन हजार क्या हुए?
इतने में खरे साहब हमको धमकाते हुए बोले तुम क्या दिक्कत है मैं चाहे एक भी रुपया न दूं तुमसे क्या मतलब तुम्हारे नौ हजार कट गए समझे। ज्यादा बोलेंगे तो दस हजार काटूंगा समझे वकील न बनो चलते बनो यहां से।
इतना कहकर भगा दिया लेकिन मेरे तीन हजार का स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
गार्ड की शिकायत पर हमारे संवाददाता ने मामले की जानकारी करने हेतु खरे को फोन कर जानकारी लेनी चाही तो खरे ने पूरा प्रकरण बताया लेकिन जब सवाल तीन हजार रूपए को लेकर किया तो स्पष्ट जवाब देने के बजाय भड़क गए और पत्रकार को धमकाते हुए बोले तुम कौन होते मैं चाहे कैंटीन वाले को एक भी पैसा ना दूं गार्ड से चाहे नौ हजार लूं य नब्बे हजार तुमसे क्या मतलब,चोर के फेवर में बात करते हो तुम्हारे ऊपर भी अभी एफआईआर करवाऊंगा भागे भागे तुम भी घूमोगे सही हो जाओगे।
जिसकी कॉल रिकॉर्डिंग संवाददाता ने कर ली।
खरे ने पुलिस पर लगाया पैसे लेने का आरोप –
खरे ने संवाददाता को धमकाते हुए जोश में आकर पुलिस को भी आरोपी करार दिया।
बोले मैंने तीन हजार हजार काट लिए तो आप को दिक्कत है जाओ पुलिस ने भी छोड़ने के दो हजार रूपए लिए हैं ओ आप वापस करवा दो,करवा पाओगे वापस,
य फिर आप भरो भरोगे?
अब सवाल यह खड़ा होता है कि किसी के तीन हजार रूपए हड़पने के बाद हॉस्पिटल संचालक ने आरोपी कर्मचारी पर उचित कार्रवाई क्यों नहीं की?
क्या हॉस्पिटल प्रबंधन की मिली भगत है?
मामले की जानकारी मांगने पर पत्रकार को खुलेआम फोन पर धमकाने वाले खरे पर क्या कार्यवाही होगी?
मड़ियांव पुलिस पर भी पैसे लेने झूठा आरोप लगाया,देखना यह है कि मड़ियांव पुलिस अपनी छवि को साफ सुथरा रखने हेतु क्या कदम उठाती है?