पटना:-
बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान बिहार में का..बा गीत गाकर सुर्खियों में लोकगायिक और यूट्यूबर नेहा सिंह राठौर पर अपने नये गीत से ऐतिहासिक इलाहाबाद विश्वविद्यालय का अपमान करने का आरोप लगा है। नेहा ने नया गीत लइके युनिवर्सिटी में एडमीशन लड़िहें छात्रसंघ के इलेक्शन..अपने सोशल साइट पर अपलोड किया है। जिसमें मुख्य रूप से इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्र संस्कृति को निशाना बनाया गया है।
इलाहाबाद के छात्रों को बम, कट्टा, झगड़ा कर के कर्नल गंज से कटरा तक परेशान करने वाला बताया गया है। इतना ही नहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने की वजह सिर्फ चुनाव लड़ना ही गायिका की ओर से बताया। इलाहाबाद के छात्र-छात्राओं ने नेहा के इस गीत का विरोध करना शुरू कर दिया है।
नेहा के ट्वीटर और फेसबुक अकाउंट को रिपोर्ट करना शुरू कर कर दिया है। नेहा ने ट्वीटर पर लिखा- आपको इतना भावुक होने की आवश्यकता नहीं है. क्यों बात-बात पर आहत हो जाते हैं?
लइके युनिवर्सिटी में एडमीशन
लड़िहें छात्रसंघ के इलेक्शन…(भाग1)#धरोहर #छात्र_गीत #NSR pic.twitter.com/LMKVDfci1S— Neha Singh Rathore (@nehafolksinger) November 23, 2020
जिस इलाहाबाद विश्वविद्यालय की संस्कृति को अपमानित करने का आरोप आप मुझपर लगा रहे हैं, वो निश्चित रूप से महान हुआ करता था, विश्वविद्यालय को ‘ऑक्सफ़ोर्ड ऑफ ईस्ट’ भी कहा जाता था; पर अब ऐसा है क्या? एक ऐतिहासिक बुलंद इमारत में डिग्री कॉलेज बनकर रह गया है इलाहाबाद विश्वविद्यालय…
इसके जिम्मेदार हैं कुछ ऐसे ‘समझदार’ लोग, जो बिना बात, बात-बात पर आहत होने का स्वांग करते हैं, और विश्वविद्यालय के मूल्यों को नष्ट करते हैं। University stands for universal ideas के मूल को भूलकर, हर शाखा के एक वृक्ष बनने की क्षमता की काट-छाँट करने के बाद अगर आप उम्मीद करते हैं कि ये प्यारा विश्वविद्यालय अपनी खोई हुई गरिमा वापस पा सकेगा, तो भरोसा कीजिये, आप गलत सोच रहे हैं।
जिस तरह से राजनीतिज्ञों की आलोचना को संविधान की आलोचना नहीं माना जा सकता, उसी तरह से विश्वविद्यालय के मठाधीशों की आलोचना को विश्वविद्यालय की आलोचना नहीं समझा जाना चाहिए. बाकी आलोचना से बाहर तो हमारा संविधान भी नहीं है।