इस बार के बजट की कमेंटरी आप किसी भी फाइनेंसियल न्यूज़ चैनल पर सुन लें एक बात साफ़ दिखती है की बीजेपी अपनी आदतों के आगे मजबूर ही रहती है । वायदे इतने बड़े होते हैं की किसी समझदार इंसान की समझ से परे होते हैं ।
ऐसे में फाइनेंसियल मार्केट्स के प्लेयर्स पिछली बार की तरह इस बार भी हताश नज़र आये । वायदों के हिसाब से कुछ कंस्यूमर रिलेटेड नाम जैसे Emami, Hindustan Unilever, Dabur, Tata Global में बढ़त दिखी जबकि बाकी का मार्किट ने नीचे छलांग लगा दी ।
पिछली बार के अंतरिम बजट की तरह इस बार भी सीथारमन जितना बोली निफ़्टी उतना गिरा ।
युवाओं के रोज़गार पर कोई ध्यान नहीं दिखा ।
सीडब्ल्यूसी के सदस्य आनंद शर्मा ने ट्वीट किया कि “अर्थव्यवस्था को बर्बादी की ओर खींचने के बाद यह सरकार अब अपने स्मारकीय कुप्रबंधन के लिए 70 वर्षों में निर्मित राष्ट्रीय संपत्ति की भव्य निकासी बिक्री का प्रस्ताव रखती है”।
शर्मा ने जीएसटी संग्रह पर बजटीय कदम पर सवाल उठाया: “जीएसटी पर बकाया रिफंड पर एफएम की चुप्पी, निर्यातकों के ड्यूटी रिफंड और पीएसयू के अवैतनिक बिल 10 लाख करोड़ रुपये हैं।”
यह पैसा सर्कार कैसे इंतज़ाम कर के वापस करेगी इसपर सीथारमन जी ने बजट में कुछ नहीं बोला है ।