फॉरेन इन्वेस्टर्स का झुकाव कॉर्पोरेट टैक्स में भारी कटौती के बावजूद भारत से दूर जाता हुआ । ऐसे में निफ़्टी फिर से १२००० को कायम रख पाने में असमर्थ दिखाई दिया । भारत के खुद के इन्वेस्टर्स भी असमंजस में हैं ।
अब ऐसा लग रहा है की आर्थिक रणनीति भाजपा के बस की बात ही नहीं है । यह पार्टी सिर्फ जैसे तैसे चुनाव हे जीत सकती है । युवाओं से अनुरोध है की इस ठण्ड में पकौड़े का ठेला तुरंत बुक करवा लें ।
बाकी अब तोह मोदी दूसरे देशों से इन्वेस्टमेंट लाने की ज़्यादा बात भी नहीं करते हैं ।
ऑटो सेक्टर दिवाली के बावजूद भी गिरता हुआ ही दिखा ।
स्टील की खपत में थोड़ी वृद्धि हुई पर बड़ी कंपनियों का मुनाफा ज़्यादा नहीं बढ़ा ।
रियल एस्टेट सेक्टर नोट बंदी , GST और RERA की मारों से उबार नहीं पाया तोह सीथारमन जी ने सीधे बड़े रियल एस्टेट प्लेयर्स की जेब में हज़ारों करोड़ रुपैये डालने का जोखिम उठाना ठीक समझा है । इसके लिए एक फण्ड की घोषणा हुई है । लेकिन इस इमरजेंसी फण्ड का साइज और लागू होने का समय किसी भी हाल में भारत के साइज के सामने टिक पायेगा ऐसा विशेषज्ञों को नहीं प्रतीत हो रहा है ।
बाकी ऐसे मामलो में सिर्फ भक्तों का साथ मोदीजी के साथ रहता है । तोह चलो राम मंदिर का मामला शांत हुआ ।
जब सीथारमन डिफेन्स मिनिस्टर थी तोह फुलवामा हुआ । अब फाइनेंस मिनिस्टर हैं तोह कहीं रिसेशन न आ जाए ।
अब क्या राम मंदिर के बाद वापस देश की बिगड़ती हुई अर्थव्यवस्था पर मोदीजी और सीथारमन का ध्यान जायेगा की नहीं यह देखना अभी बाकी है ।
अगर आप अच्छे लेखक हैं तोह अपना CV हमें [email protected] पर ईमेल करें या 7800004582 पर व्हाट्सप्प करें , धन्यवाद ।